यह फ़ॉर्म अचलपुर शहर के बच्चों के लिए विशेष रूप से है।
मोहतरम हज़रात आप लोग इस बात से ख़ूब वाक़िफ़ ही हैं कि हर एक कामयाब इदारे के अपने उसूल होते हैं, बग़ैर उसूल-ओ-क़वानीन के इदारा इदारा नहीं और कोई तंज़ीम तंज़ीम नहीं। इदारा-ओ-तंज़ीम तब ही कामयाब होती है जब उस इदारे के उसूलों पर अमल किया जाए।
यह इदारा (मकतबुस-सुफ़्फ़ाह) हम सब का है, इसे कामयाब बनाने और परवान चढ़ाने में हम सब को मिलकर मेहनत करनी होगी।
उसूल-ओ-ज़वाबित (नियम और क़ानून)
① वालिदैन (माता-पिता) या सरपरस्त में से दाख़िले के वक़्त किसी एक का साथ होना ज़रूरी है।
② तालिब-ए-इल्म को अपनी हाज़िरी का ख़्याल रखना ज़रूरी होगा, बग़ैर इत्तिला (सूचना) के लगातार ग़ैर हाज़िरी पर मकतब से नाम बाहर कर दिया जाएगा।
③ तीन दिन से ज़्यादा ग़ैर हाज़िर रहने वाले तालिब-ए-इल्म को अपने वालिद या सरपरस्त के साथ नाज़िम-ए-मकतब से मिलना होगा।
④ दस दिन से ज़्यादा ग़ैर हाज़िर रहने वाले तालिब-ए-इल्म को (सज़ा के तौर पर) फ़ाइन भरना होगा।
⑤ हर महीने की फ़ीस 30 तारीख़ को जमा करना ज़रूरी होगा।
⑥ बग़ैर दाख़िले के किसी भी बच्चे को मकतब में आने की इजाज़त नहीं होगी।
⑦ छह 6 साल से कम उम्र बच्चे को मकतब में दाख़िल नहीं किया जाएगा।
⑧ बग़ैर (पोशाक) के तलबा (छात्रों) को दरसगाह (कक्षा) में बैठने की इजाज़त नहीं होगी। लड़कों का लिबास सफ़ेद कुरता, सफ़ेद पाजामा और सफ़ेद टोपी; लड़कियों का लिबास सफ़ेद गोल फ़्रॉक बग़ैर चाक़ का, सफ़ेद शलवार, सफ़ेद स्कार्फ़।
⑨ अपने बच्चों को वक़्त से पहले सफ़ाई के साथ वुज़ू करके रवाना करें, नाख़ून और बालों पर ख़ास तवज्जोह दें ( बाल स्टाइलिश न हो )।
⑩ बीमारी की हालत या घर के शादी और अन्य ज़रूरी प्रोग्रामों में लिखित दरख़्वास्त देकर छुट्टी हासिल करना ज़रूरी होगा।
⑪ सरपरस्त के लिए ज़रूरी है कि हर महीने कम-अज़-कम एक बार मकतब में आकर अपने बच्चे की तालीमी कैफ़ियत का जायज़ा लें।
⑫ अपने बच्चों को घर पर सबक़ याद कराएँ और रोज़ाना सुनें।
⑬ मज़्कूरा बाला बातों की ख़िलाफ़ वर्ज़ी (उल्लंघन) पर किसी भी वक़्त तालिब-ए-इल्म की तम्बीह और इख़राज का इख़्तियार मकतब को हासिल होगा।
⑭ दाख़िला फ़ीस २०० रुपये है।
⑮ अगर आपका बच्चा किसी वजह से पूरा महीना भी ग़ैर हाज़िर रहा है तो वह ग़लती आप और आपके बच्चे की हुई, लिहाज़ा ऐसी सूरत में भी मकतब की फ़ीस ली जाएगी। इसमें किसी भी क़िस्म की रियायत (छूट) नहीं होगी।
⑯ अगर किसी मुअल्लिम (शिक्षक) / उस्ताद से बच्चों को तम्बीह करने में कोई सख़्ती हो जाए तो सरपरस्तों की ज़िम्मेदारी है कि तलबा की शिकायत आने पर किसी तरह का क़दम उठाने से पहले मकतब में आकर सही हालात की तहक़ीक़ (जाँच) करें। और अगर सरपरस्त को किसी मुअल्लिम से शिकायत हो तो वह मकतब के सदर साहब से मिलें।
( नोट : मकतब की इंतेज़ामी कमेटी की तरफ़ से बच्चे की पूरे साल की मुकम्मल फ़ीस २००० (दो हज़ार) रुपये रखी गई है दाखिले के सम्य ही एक साथ पूरी फ़ीस देना होगा, या पाँच-पाँच महीनों की फ़ीस दो क़िस्तों में भी अदा कर सकते हैं। इस हिसाब से एक बच्चे पर एक दिन के केवल छह रुपये कुछ पैसे बनते हैं।)
अहद (प्रतिज्ञा):मकतब के तमाम शराइत (शर्तें) हमें मंज़ूर हैं, इंशा-अल्लाह इन शराइत पर पाबंदी से अमल करेंगे।
संपर्क करें ☜. 8830665690